विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
प्रथम प्रकरण
माधुर्य का प्रादुर्भाव
वेणुगीत
(किसी गोपी का पति उसको भगवान के समक्ष जाने देना नहीं चाहता था, वह गोपी हिरनी को लक्ष्य करके कहती हैं-) हे सखि! तिर्यक्-योनि में उत्पन्न हुई जडबुद्धिवाली होती हुई भी ये हिरनियाँ धन्य हैं जो वेणु का शब्द सुनकर विचित्र वेषधारी नन्दनन्दन को अपने पतियों के साथ अपने प्रीतियुक्त अवलोकन से पूजा करती हैं (अर्थात् वे अपनी बड़ी-बड़ी आँखें मानो खिले कमल के समान भगवान् को अर्पण कर रही हैं परंतु हमारे पति तो अपने सामने हमारा भगवान् की ओर देखना भी सहन नहीं करते हैं)।।11।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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