विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
प्रथम प्रकरण
माधुर्य का प्रादुर्भाव
वेणुगीत
(कोई गोपी कहती है-) हे सखि! वृन्दावन भूमि की कीर्ति को स्वर्ग से भी अधिक बढ़ाता है क्योंकि इसे देवकीनन्दन भगवान् के चरण-कमलों से सुशोभित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, इसमें गोविन्द की वंशी सुनकर मयूर मत्त होकर नृत्य कर रहे हैं और उनका नृत्य देखकर पर्वतों की चोटियों पर रहने वाले समस्त जीव (मृगप्रभृति) मारे आनन्द के निश्चेष्ट हो रहे हैं (भाव यह है कि ये सब बातें अन्य लोकों में नहीं है, अतएव वृन्दावन पृथ्वी की कीर्ति को बढ़ाता है)।।10।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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