योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
बत्तीसवाँ अध्याय
युधिष्ठिर का राज्याभिषेक
नोट- युधिष्ठिर के राजसिंहासन पर बैठने के बाद और कृष्ण के द्वारिका जाने से पहले महाभारत में एक और घटना का उल्लेख है, जिसकी सत्यता में संदेह है। यह कथा प्रचलित है कि जब युधिष्ठिर राजगद्दी पर बैठे तो भीष्म पितामह अभी जीवित थे। यह मालूम नहीं कि वे कुरुक्षेत्र से हस्तिनापुर आ गये थे या वहाँ ही किसी स्थान पर थे, परन्तु किंवदन्ती इस प्रकार है कि युधिष्ठिर की राजगद्दी के पश्चात कृष्ण युधिष्ठिर और सारे पाण्डवों को महाराज भीष्म के पास ले गये और प्रार्थना पर महाराज भीष्म ने युधिष्ठिर को वह उपदेश किया जो महाभारत के शान्ति और अनुशासन पर्व में लिखा है। यह उपदेश लम्बा और जटिल है। ऐसे-ऐसे कठिन विषय इसमें भरे हुए हैं जिससे इस बात को मानने में संकोच होता है कि मरने के समय इस प्रकार के उपदेश महात्मा भीष्म ने दिये हों। तो भी किसी ऐसे महान पुरुष से मृत्यु के समय उपदेश लेना साधारण बात है। अतः इस घटना का सत्य होना भी असम्भव नहीं है। यदि ऐसा हुआ भी हो तो भी महाराज भीष्म के असल उपदेशों पर बाद में इतनी टिप्पणियाँ चढ़ीं और उनमें इतनी मिलावट हुई जिससे यह निर्णय करना असम्भव है कि इसमें से कितना उपदेश महाराज भीष्म का है और कितना पीछे से मिलाने वालों के विचारों का अंश है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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