विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
चौथा अध्याय
द्वारकालीला
सप्तम प्रकरण
जरासन्ध और शिशुपालादिका वध
कारागृहमुक्त राजा तथा युधिष्ठिरकृत स्तुति
भगवान के इन्द्रप्रस्थ पहुँचने पर युधिष्ठिर ने स्तुतिपूर्वक उनका स्वागत किया। इस प्रकरण के आदि में उसका उल्लेख किया गया है। युधिष्ठिर ने निवेदन किया- ‘हे प्रभो! हे गोविन्द! मैं राजसूय- यज्ञ करने के बहाने आपका पूजन करना चाहता हूँ। यदि आपकी सम्मति हो तो यह काम किया जाय।’ भगवान ने कहा, आपके लिए यह काम कठिन नही है, आपके भाई सब राजाओं को जीतकर यज्ञ की सामग्री इकट्ठी कर सकते हैं। जरासन्ध बली तो है, किन्तु भीम उसको पछाड़ देगा। तदनन्तर भगवान, भीम और अर्जुन ब्राह्मण का वेश धारण कर जरासन्ध के निवास स्थान गिरिव्रज को चले गये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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