बाल कृष्ण ने चरण छुवायो, घुटना ताई जल आयो रे।। क. 7 ।।
मात देवकी के उर प्रगटयो, जसोदाजी पालणे झुलायो रे।। क. 8 ।।
धन धन हे म्हारी मात यशोदा, तूं ठाकुरजी ने गोद खिलायो हे।। क. 9 ।।
मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल, पल पल लगत सवायो रे।। क. 10 ।।
तीन लोक रो नाथ कहावे, बबुवो सो बण आयो रे।। क. 11 ।।
बाबा नन्द लियो गोदी में, काँधे ऊपर बिठायो रे।। क. 12 ।।
गोकुल माहीं बँटत बधाई, नन्द-घर आनन्द छायो रे।। क. 13 ।।
गायां दान करे नन्द बाबो, अन्न धन रतन लूँटायो रे।। क. 14 ।।
बृज-गोप्याँ मिल मंगल गावे, सुवरण थाल बजायो रे।। क. 15 ।।