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गोपाल हो तुम हम बाल सखा, तुम और नहीं हम और नहीं।
मैं बालक हूँ तुम मात पिता, तुम और नहीं हम और नहीं।। टेर ।।
तुम हित हो मैं हितकारी हूँ, तुम कर्म हो मैं क्रमकारी हूँ।
तुम ठाकुर हो मैं पुजारी हूँ, तुम और नहीं हम और नहीं।। 1 ।।
तुम कमल हो मैं रस भौरा हूँ, तुम चंदा हो मैं चकोरा हूँ।
तुम मेरे हो मैं तेरा हूँ, तुम और नहीं हम और नहीं।। 2 ।।
तुम दीपक मैं उजियाला हूँ, तुम दाता मैं दर वाला हूँ।
तुम गायत्री मैं माला हूँ, तुम और नहीं हम और नहीं।। 3 ।।
तुम परदे में मैं जाहिर हूँ, तुम भीतर हो मैं बाहिर हूँ।
तुम नारायण हो मैं नर हूँ, तुम और नहीं हम और नहीं।। 4 ।।
यह दौ का भेद मिटा प्यारे, अब देर करो मत पल भर की।
इस दास को दरसन दो प्यारे, तुम और नहीं हम और नहीं।। 5 ।।