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याद सतावे रे थांरी याद सतावे रे,
नव छैला श्याम बिहारी थाँरी याद सतावे रे।। टेर ।।
जग-चरचा जब पड़े कान में जिव घबरावे रे।
तब कालजियो चूँटीजे भीतर मन अकुलावे रे।। 1 ।।
ब्याह विनोद उछाह जगत रा नांय सुहावे रे।
मनमोहन थांरी बाताँ सुण सुण आनन्द आवे रे।। 2 ।।
घर में रहूँ फिरूँ बाहर, चित चैंन न पावे रे।
अब हाल बेहाल हुया हिवड़ेरा, प्राण न जावे रे।। 3 ।।
तूँ छलिया छिपकर वैठ्यो अँखियां मटकावे रे।
मोहि दरशण दे गोपाल लाल अब क्यूं तरसावे रे।। 4 ।।