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होरी श्याम रची है चलै बाबा नन्द जी के द्वार।। टेर ।।
बहु भाँतिन के बाजे बजत हैं, डफरी शँख शहनाई,
सखि हियँ महँ हुलसी है।। चलौ.।। 1 ।।
आय गोविन्द संग खेलन लागी, ब्रज बनिता सुकुमारि,
रँग पिचकारी भरी है।। चलौ.।। 2 ।।
उड़त गुलाल अरुण भये अम्बर, रँग की उड़त फुँहार,
केशर कीच मची है।। चलौ.।। 3 ।।
‘चन्द्र सखी’ मेरो मन हर लीन्हो, देत मुकुट की झाल,
मुरली अधर धरी है।। चलौ.।। 4 ।।