(51)
तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई।
तेरे लाला ने ब्रज-रज खाई जसोदा सुन माई।। टेर ।।
अद्भुत खेल सखन सँग खेलो, छोटो सो माटी की ढेलो।
तुरत श्याम ने मुख में मेलो, याँने गटक गटक गटकाई।। 1 ।।
दूध दही को कबहुँ न नाटी, क्यों लाला तैनें खाई माटी,
यशुदा समझावे ले साँठी, याँने नेक दया नहि आई।। 2 ।।
अब मारे मती मैया बचन भरवाय ले।। टेर ।।
बचन भरवाय ले सौगन्द कढ़वाय ले।
गंगा की खवाय ले चाहे जमुना की खवाय ले।
क्षीर सागर में मैया, ठाड़ो करवाय ले।
गैयन की खवाय ले चाहे बछड़न की खवाय ले।
नन्द बाबा के आगे ठाड़ो करवाय ले।।