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श्याम रसिया मेरे मन बसिया,
रुचि रुचि भोग लगाओ रसिया।। टेर ।।
सबरी के बेर सुदामा के तन्दुल,
प्रेम से भोग लगाओ रसिया।।
दुरियोधन के मेवा त्यागे,
साग विदुर घर पावे रसिया।
जो यह भोग प्रसादी पावे,
उनको पार लगाओ रसिया।।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर,
बाँकी छबि दरसाओ रसिया।।