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म्हारा मदन गोपाल, म्हारा मीठोड़ा नँदलाल।
थाँरे बिना झूठो है जगत जंजाल।। टेर ।।
थाँरे खातिर सोऊँ प्यारा थाँरे खातर जाँगू।
थाँरे खातिर ऊठूँ बैठूँ थाँरे खातर भागूँ।। 1 ।।
थाँरी ही परसादी पाऊँ थाँरो ही जल पीऊँ।
थाँरे खातिर साँस लेऊँ, थाँरे ही जीऊँ।। 2 ।।
थाँरा ही तो टाबर टोली, थाँरो ही घरबार।
जठे जठे रहऊँ बाला, थाँरो ही दरबार।। 3 ।।
थाँरे खातर आऊँ प्यारा, थाँरे खातर जाऊँ।
थाँरा ही भगताँ में बैठ थाँरा ही गुण गाऊँ।। 4 ।।