योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 21

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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प्रस्तावना


इस पुस्तक को जब लिखना आरम्भ किया तो प्रथम यह विचार सामने आया था कि मुहावरे की उर्दू लिखी जाए, परन्तु फिर हमने देखा कि प्रथम तो मुहावरे की उर्दू जानने को दावा हम नहीं कर सकते और दूसरे हमें हिन्दी शब्दों को छोड़ने के लिए बहुत उद्योग करना पड़ेगा, जिसमें हमारा बहुत समय लगेगा। इसलिए हमने इस उद्योग को छोड़ दिया और जो शब्द हमारी लेखनी में आये उन्हें ही लेखबद्ध किया।

अन्त में हम कुछ शब्द अपनी पुस्तक के मूल्य के संबंध में प्रकट कर देना चाहते हैं, क्योंकि हमारे बहुत-से मित्रों को यह शिकायत रहती है कि हम अपनी साधारण पुस्तकों को बहुत महँगी करके बेचते हैं। प्रथम तो हम अपने मित्रों को यह बताना चाहते हैं कि हमारी सब पुस्तकों का मूल्य अन्य भाषा अर्थात बंगाली, अंग्रेजी या उर्दू में छपी पुस्तकों से कम है। दूसरे यह कि हमारी अच्छी से अच्छी पुस्तक में अभी तक हमको हानि रही है। पूरी लागत भी अभी वसूल नहीं हो पाई। यद्यपि हमारा विश्वास है कि हमारी पुस्तक को हजारों मनुष्यों ने पढ़ा है तथापि अब तक एक भी संस्करण का समाप्त न होना भी इनके प्रति सर्वसाधारण की कदर को जाहिर करता है। अतः ऐसी अवस्था में यह आशा रखना उचित नहीं है कि समय और मस्तिष्क के परिश्रम के अतिरिक्त हम पुस्तकों के छपाने के लिए अपने पास से धन भी खर्च करें। इस विषय में पंजाब की हिन्दू जनता को बंगाल की जनता या मुसलमान महाशयों से कुछ शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए।

उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में मैं यह तुच्छ भेंट अपनी जाति की सेवा में समर्पित करता हूँ।

लाहौर -लाजपतराय

6-11-1900

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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