योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
पैंतीसवाँ अध्याय
कृष्ण महाराज की शिक्षा
"राजपाट इत्यादि बाह्य पदार्थों के त्याग से मुक्ति नहीं होगी, परन्तु उन चीजों को छोड़ना होगा जो तुमको शरीर के साथ बाँधती हैं। वह पुण्य और सुख हमारे शत्रुओं के ही भाग्य में रहे, जो लोग पदार्थों का त्याग तो करते हैं परन्तु भीतरी इच्छाओं और निर्बलताओं में फँसे रहते हैं। असल मृत्यु इसी का नाम है कि मनुष्य सांसारिक पदार्थों में लिप्त हुआ मेरी और तेरी की पहचान में ही गुँथा रहे। वह पुरुष दुनिया की क्या परवाह करेगा जो सब पृथ्वी का चक्रवर्ती राज्य रखता हुआ भी अपने मन में मोह नहीं रखता और न इसके भोग से ही मोहित होता है। परन्तु वह पुरुष जो दुनिया को त्यागकर जंगल में साधु वेष बनाकर, जंगली कन्दमूल का भोजन करता हुआ भी दुनियावी पदार्थों की प्राप्ति की इच्छा रखता है और इनकी ओर दिल लगाता है, तो वह मानो मृत्यु को हर वक्त अपने मुँह में ही लिए फिरता है। इसलिए तुमको उचित नहीं है कि अपने कर्त्तव्य को पूर्ण रीति से किये बिना तुम त्याग का विचार करो। असल त्याग इसी में है कि मनुष्य का मन इसके वश में हो और अपनी सब इच्छाओं पर उसका पूर्ण अधिकार हो। ऐसा पुरुष संसार में रहता हुआ राज्य करता हुआ भी पूरा त्यागी और अपने दिल का बादशाह है।" वाह! क्या शब्द हैं। शब्द हैं या मोती है जिनका रूप, रँग और जिनकी चमक-दमक के साने अच्छी से अच्छी और तीव्र से तीव्र दृष्टि वाली आँख भी नहीं ठहर सकतीं। नहीं, नहीं ये मोती नहीं! मोती तो मिट्टी है। उनसे न तो भूखे की भूख मिट सकती है, न प्यासे की प्यास बुझ सकती है, न शोकाकुल का शोक दूर हो सकता है और न उदास की उदासी कम हो सकती है। बहुमूल्य मोती रखते हुए भी आदमी दुःख, दर्द और क्लेश से छुट्टी नहीं पाता। महमूद गजनवी के पास क्या मोतियों की कमी थी और रूस के जार[1] के पास क्या मोती कम हैं? लेकिन क्या कोई कह सकता है कि मोतियों के कारण महमूद को सुख मिला या ज़ार इन मोतियों के कारण सुखी है? सच तो यह है कि यदि तमाम दुनिया की दौलत सोना, चाँदी, हीरे, मोती, जवाहरात आदि इकट्ठे कर लिए जावें तब भी इनका मूल्य इन शब्दों और इन विचारों के मूल्य से कहीं कम है। यह वह अमृत है जिसकी तलाश में मोतियों वाला सिकंदर आजम मर गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1917 की साम्यवादी क्रान्ति के पहले रूस के शासक ज़ार कहलाते थे। जब यह पुस्तक लिखी गई उस समय रूस पर ज़ार का ही राज्य था।
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज