विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
चतुर्थ प्रकरण
कुमारावस्थालीला
ब्रह्मकृत स्तुति
(अब जाते समय बहुत से संबोधनों द्वारा नमस्कार करते हैं) हे कृष्ण! हे यादवकुल कमल सूर्य! हे पृथ्वी, देवता, ब्राह्मण, गौरूप समुद्र की वृद्धि करने वाले चंद्र! हे पाखण्डरूपी रात्रि के अंधकारनाशक चंद्र-सूर्य! हे पृथ्वी के कंसादि राक्षसों से द्रोह करने वाले सूर्य। क्षुद्र जीव से लेकर सूर्य देवतापर्यन्त सभी के पूजनीय हे भगवन्! आपको कल्पपर्यन्त नमस्कार है।।40।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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