विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
पहला अध्याय
बाललीला
द्वितीय प्रकरण
श्रीकृष्णजन्म
देवकी कृत स्तुति
हे विश्वात्मन्! शंख, चक्र, गदा और पद्म से सुशोभित एवं चार भुजाओं वाले इस दिव्य अलौकिक रूप को गुप्त कीजिए। (अर्थात बालक रूप धारण कीजिए)।।30।। जो आप परम पुरुष प्रलय के शान्त होने पर (सृष्टि और स्थिति के समय) इस असंख्य ब्रह्माण्डात्मक जगत को अपने शरीर में निस्संकोच (अवकाशपूर्वक) धारण कर लेते हैं, ऐसे आपको मेरे उदर से उत्पन्न हुआ जो समझाता है, वह मनुष्यों में हास्यास्पद है।।31।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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