विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
चौथा अध्याय
द्वारकालीला
द्वितीय प्रकरण
श्रीकृष्ण जी के विवाह
जाम्बवान् तथा भूमिदेवीकृत स्तुतियाँ
भगवान् उस समय युवावस्था में स्थित थे, उनके रुक्मिणी जी से एक पुत्र हुआ, उसका नाम प्रद्युम्न रखा गया। यह कामदेव का जिसको शिव जी ने भस्म कर दिया था, अवतार था। कामदेव का शत्रु शम्बरासुर प्रद्युम्न को उत्पन्न होने के दसवें दिन चुराकर ले गया और उसे समुद्र में डाल दिया। वहाँ प्रद्युम्न को एक मत्स्य निगल गया, किन्तु वह मत्स्य दैवयोग से धीवरों के हाथ लगा और उन्होंने उसको शुम्बरासुर को भेंट किया। रसोइयों ने उस मत्स्य को काटा तो उसके पेट से एक सुंदर बच्चा निकला। शम्बरासुर के भोजनालय की अधिष्ठात्री मायावती कामदेव की स्त्री रति की अवतार थी। उसने प्रद्युम्न को पहचान लिया और बिना शम्बासुर को जनाये वह उसका पालन करने लगी। जब प्रद्युम्न बड़े हुए तब मायावती के अनुरोध से उन्होंने शम्बरासुर का वध किया। और फिर दोनों स्त्री पुरुष आकाशमार्ग से विमान द्वारा द्वारका में आ गये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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