विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
चौथा अध्याय
द्वारकालीला
प्रथम प्रकरण
रुक्मिणी के साथ विवाह
रुक्मिणी का पत्र
(यदि यह शंका हो कि अनर्थोत्पादक आग्रह से क्या लाभ, शिशुपाल भी गुणकर्म से प्रख्यात है; तो समाधान करती है-) हे अम्बुजाक्ष! आपके चरण कमल की रेणु में महादेव तथा उनके समान अन्य ब्रह्मादिक भी अपने अज्ञान को दूर करने के लिए स्नान करने की इच्छा करते हैं, आपका प्रसाद यदि मैं न पाऊँगी तो उपवासादि व्रत से देह को सुखाकर प्राणों को बार-बार अनेक जन्म तक त्यागती रहूँगी तो किसी जन्म में आपका प्रसाद मिलेगा ही।।43।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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