विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
षष्ठ प्रकरण
गोपियों से विदाई
गोपीक्रन्दन
[अब अक्रूर जी को लक्ष्य करके कहती हैं-] इस प्रकार के कर्म करने वाले निर्दयी पुरुष का ‘अक्रूर’ यह श्रेष्ठ नाम युक्त नहीं है। यह तो बड़ा ही क्रूर है, क्योंकि अत्यंत दुःख में निमग्न हुई हम सबों को बिना समझाये ही, हमारे प्रिय प्राणों से भी प्रियतम श्रीकृष्ण जी को ऐसे स्थान में ले जाता है, जहाँ हमारी दृष्टि नहीं पहुँच सकती।।26।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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