भागवत स्तुति संग्रह पृ. 20

भागवत स्तुति संग्रह

पहला अध्याय

बाललीला
प्रथम प्रकरण
भगवान का अवतार[1]

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देवगणकृत स्तुति

येऽन्येऽरविन्दाक्ष विमुक्तमानिनस्त्वय्यस्तभावादविशुद्धबुद्धयः।
आरुह्य कृच्छ्रेण परं पदं ततः पतन्त्यधोऽनादृतयुष्मदङ्घ्रयः।।32।।
तथा न ते माधव तावकाः क्वचिश्द्रश्यन्ति मार्गात्त्वयि बद्धसौहृदाः।
त्वयाभिगुप्ता विचरन्ति निर्भया विनायकानीकपमूर्धसु प्रभो।।33।।
 

(शंका- विवेकी पुरुषों को भजन करने की क्या आवश्यकता है? वे तो मुक्त ही हैं! समाधान-) हे कमलनयन! जो पुरुष अपने को स्वयं ही मुक्त मानने वाले हैं और इसीलिए जिन्होंने आपके चरणों का आदर नहीं किया है तथा आपकी भक्ति न होने के कारण जिनकी बुद्धि शुद्ध नहीं है वे बहुत जन्मों के तप से अच्छे पद को (मोक्ष के समीप की पदवी को) प्राप्त करके भी वहाँ से नीचे (नरक में) गिर पड़ते हैं। (विघ्नों से पराजित हो जाते हैं)।।32।।

हे माधव! (जैसे आपसे विमुक अभक्त अपने अधिकार से गिर जाते हैं) उस प्रकार आपके भक्त आपके प्रति दृढ़ प्रेम करने के कारण कदापि भक्तिमार्ग- (भजनाधिकार-) से भ्रष्ट नहीं होते किन्तु आपके द्वारा रक्षित वे भक्त (कालकर्मादिके) भय से रहित होकर विघ्नों की सेना के स्वामियों के भी मस्तक पर चरण रखकर विचरते हैं (अर्थात् आपके पद को प्राप्त होते हैं)।।33।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भागवत पुराण 10।1 और 2

संबंधित लेख

भागवत स्तुति संग्रह
प्रकरण पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
उपोद्घात
1. श्री शुकदेव कृत स्तुति 1
पहला अध्याय
प्रथम- बाललीला 2. देवगण कृत स्तुति 13
द्वितीय- श्रीकृष्ण जन्म 3. वसुदेव कृत स्तुति 27
4. देवकी कृत स्तुति 32
तृतीय- शिशु लीला 5. नलकूबर और मणिग्रीव कृत स्तुति 36
चतुर्थ- कुमारावस्था लीला 6. ब्रह्मा कृत स्तुति 46
पंचम- पौगण्डावस्था लीला पूर्वार्ध 7. नाग पत्नियों द्वारा की हुई स्तुति 73
8. कालिय कृत स्तुति 87
षष्ठ- पौगण्डावस्था लीला उत्तरार्ध 9. इंद्र तथा कामधेनु कृत स्तुति 89
दूसरा अध्याय
प्रथम- माधुर्य लीला 10. माधुर्य का प्रादुर्भाव 99
द्वितीय- चीरहरण लीला 11. ब्राह्मणों द्वारा की हुई स्तुति 117
तृतीय- रास का आह्वन 12. गोपी कृत स्तुति 131
चर्तुर्थ- रासलीला पूर्वार्ध 13. गोपियों द्वारा विरहावस्था में की हुई स्तुति 153
पंचम- रासलीला उत्तरार्ध 14. युग्मश्लो की गोपीगीत 176
षष्ठ- गोपियों से विदाई 15. गोपी-आक्रन्दन 195
सप्तम- उद्धव जी द्वारा गोपियों को संदेश 16. गोपी क्रंदन 207
अष्टम- परिशिष्ट 17. उद्धव जी कृत गोपी स्तुति 221
नवम- ब्रह्मज्ञानवती गोपियाँ गोपी कृत विनती 234
तीसरा अध्याय
प्रथम- किशोर लीला 18. नारद कृत स्तुति 238
द्वितीय- अक्रूर जी का वैकुण्ठदर्शन 19. अक्रूर कृत स्तुति 250
तृतीय- मथुरा की लीलाएँ 20. अक्रूर जी स्तुति 271
चतुर्थ- मथुरा छोड़ना 21. मुचुकुन्द कृत स्तुति 288
चौथा अध्याय
प्रथम- द्वारका लीला 22.रुक्मिणी का पत्र 299
द्वितीय- श्रीकृष्ण जी के विवाह 23. भूमि कृत स्तुति 310
तृतीय- रुक्मिणी के साथ भगवान का विनोद 24. रुक्मिणी कृत स्तव 320
चतुर्थ- बाणासुर का अभिमान भंजन 25. ज्वर कृत स्तुति 335
26. रुद्र कृत स्तुति 341
पंचम- पौण्ड्रक और राजा नृग का उद्धार 27. नृग कृत स्तुति 348
षष्ठ- भगवान का गार्हस्थ्य जीवन 28. बन्दी राजाओं का प्रार्थना पत्र 354
सप्तम- जरासन्ध और शिशुपालादि का वध 29. कारागृह मुक्त राजाओं द्वारा की गयी स्तुति 362
अष्टम- सुदामा का चरित्र और वसुदेव जी का यज्ञ 30. ऋषि कृत स्तुति 374
नवम- देवकी के छः मृत पुत्रों का उद्धार 31. बलि कृत स्तुति 384
32. वसुदेव कृत स्तुति 392
33. श्रुतदेव कृत स्तुति 402
दशम- महाभारत के युद्ध का अंत 34. कुन्ती कृत स्तुति 406
35. भीष्म कृत स्तुति 425
एकादश- भगवान का इन्द्रप्रस्थ से जाना 36. इन्द्रप्रस्थ की स्त्रियों द्वारा कृत स्तुति 431

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