विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
पंचम प्रकरण
रासलीला
उत्तरार्ध
युग्मश्लोकी गीपीगीत
मनोहर गंधयुक्त तुलसी की माला से शोभायमान तथा (गौओं की गिनती करने के लिए बनायी गयी) मणियों की माला धारण कर गौओं की गिनती करते हुए कृष्ण प्यारे सखा के कंधे में हाथ रखकर, किसी स्थान पर भुजाएँ उठाकर जब वेणु बजाते हैं तब बजायी गयी उस वंशी के नाद से जिनता चित्त आकृष्ट हो गया ऐसे काले हिरनों की स्त्रियाँ (हिरनियाँ) हम गोपियों के समान अपने गृह की आशा छोड़कर मधुरता आदि गुणसमूहों के समुद्र श्रीकृष्ण भगवान के पास आकर चारों ओर निश्चल खड़ी रहती हैं। (ऐसे कृष्णविरह को हम कैसे सहें?)।।18-19।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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