विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
चतुर्थ प्रकरण
रासलीला
पूर्वार्ध
गोपियों द्वारा विरहावस्था में की हुई स्तुति
हे व्रजजनदुःखनाशक! हे वीर! आपका हास्य भक्तों के गर्व को नष्ट करने वाला है (अतः हमारे गर्व का नाश हो चुका, अब क्यों अन्तर्हित होते हैं?) हे सखे! हम आपकी दासियाँ हैं आप हमें स्वीकार करें और हमें अपने कमलसदृश सुंदर मुख को दिखलावें।।6।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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