विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
प्रथम प्रकरण
माधुर्य का प्रादुर्भाव
वेणुगीत
(दूसरी गोपी कहती है-) हे सखियों! यह कैसा आश्चर्य है कि गाय के पैर बाँधने की फन्देदार डोरी सिर में लपेटकर तथा गौओं को पकड़कर बाँधने की रस्सियों को कन्धे पर रखकर श्रीराम और कृष्ण जब गोपों के साथ गौओं को चराते हुए और वंशी से मधुर गीत उच्चारण करते हुए वन-वन में फिरते हैं तब चल प्राणी-पशु-पक्षी आदि की गति रुक जाती है, और अचल वृक्षों में पुलकावली छा जाती है।।19।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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