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मोहन बंशी की तान सुनाया करो।
झाँकी मोर मुकुट की कराया करो।। टेर ।।
डोलती व्याकुल सखी श्री कृष्ण कृष्ण पुकारती।
आरती करने को चन्दन पुष्प माल सँवारती।
हमतो विरहन ना तरसाया करो।। 1 ।।
किस लिये हमसे अलहदा, आप स्वामी हो गये।
तकसीर हमसे क्या बनी, निरमोहि ऐसे बन गये।
करुणा करती है ध्यान लगाया करो।। 2 ।।
राज चेरी को दिया अरु प्रीत कुबजा से करी।
वास ब्रज का तज दिया क्यों द्वारिका पहुँचे हरी।
स्वामी ब्रज में हीं रास रचाया करो।। 3 ।।
दरश की प्यासी फिरे कुञ्जन में ढूँढ़त श्याम को।
बिहारी चरनों का चेरा, बुलालो निज धाम को।
अपनें चरनों का दास बनाया करो।। 4 ।।