(219)
म्हारो वालो भूखो छे प्रेमनो रे,
नथी जोवे आचार विचार, प्रेम देखे जठे ही वालो जीमले रे।। टेर ।।
काचा पाका ने मोटा मोटा रोटला रे, खायो करमानो लूखो खींच।। 1 ।।
आँने जाती पाँती की परवा नथी रे, वालो खायो छे भीलनी का बेर।। 2 ।।
ओ तो दुर्योधन का मेवा छाँडियो रे, ओ तो खायो विदुर घर साग।। 3 ।।
ओ तो सुदामा रा काचा तंदुल खा गयो रे, छोल्या बिना ही कर कर स्वाद।। 4 ।।
आं ने खाबा पिवा नी परवा नथी रे, ओ तो पोते तिरलोकीनो नाथ।। 5 ।।
अचलराम कहे प्रभु बश प्रेम ने रे, प्रेमी भगतां नो राखे छे मान।। 6 ।।