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परम धाम गोलोक छाँड़ि के, गोकुल में हरि आयो री।। टेर ।।
ले वसुदेव पुत्र गोदी में, नन्द भवन पहुँचाये री।। 1 ।।
धन्य भाग्य है नन्द-यसोदा जिन्हहिं परम सुख पायो री।
फूले फिरत सकल बृज वासी, आनन्द उर न समायी रे।। 2 ।।
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक, देव पुष्प बरषाये री।
‘चन्द्रसखी’ भज बालकृष्ण छबि, हरि चरणन चित लाये री।। 3 ।।