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मैं सुरी तुम्हारी बात मेरा दिल अटका।
मोहि दरशण दो प्रभु अपने मोर मुकुट का।। टेर ।।
ये मात पिता भ्राता नहिं माने मेरी।
इन कुनणाँपुर में गाय सिंघ ने घेरी।।
मेरा पड़दा तेरे हाथ नाथ घूँघट का।। 1 ।।
ये सेना लेकर असुर यहाँ चलि आये।
वो जरासन्ध सा बली साथ में लाये।।
उस शिशूपाल का आन मिटावो खटका।। 2 ।।
तुम पदम श्याम मथुरा के बासी आवो।
इस रूकमैये को अपना बल दिखलावो।।
तोहि करना है यह काज आज झटपट का।। 3 ।।