(107) तर्ज - जलालजी
राधे रानी म्हे तो थांरे ब्रज बृन्दावन आया हो,
म्हारी किरति कुमारि, बृषभानु की दुलारि।। म्हे. टेर ।।
राधेरानी थे तो म्हाँने, श्याम सुन्दर सूँ मिलादो हो।। म्हा.।।
नैया म्हारी भवसूं पार लगादो हो मेरी माय।। 1 ।।
राधेरानी चाहो तो म्हांने ब्रज की रेणु बनादो हो।। म्हा.।।
लता पता की कोई एक डाली बना दो हो मेरी माय।। 2 ।।
राधेरानी संगलाने तज शरण आपरी आया हो।। म्हा.।।
कर कमलांरी करज्यो छत्तर छाया हो मेरी माय।। 3 ।।
राधे रानी म्हे तो थाँरे ब्रज वृन्दावन आया हो,
म्हारी कीरत कुमारि, वृष भानु की दुलारि, अलबेली सरकार।। म्हे.।।