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थे तो नखराला छो मदन गोपाल,
थे तो छिनगारा दो मदन गोपाल।।
मोर मुकुट सिर छत्र विराजे, गल वैजन्ती माल।। 1 ।।
अधर सुधा रस मुरली राजै, नैणा बणै बिशाल।। 2 ।।
बाजूबन्द की छटा निराली, पौंछी रो रंग गुलाल।। 3 ।।
कटी पिताम्बर कमर कन्दोरो, चरणन नुपुर रसाल।। 4 ।।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, राखो जी मोहि सँभाल।। 5 ।।