विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
तीसरा अध्याय
किशोरलीला
प्रथम प्रकरण
वृन्दावन की शेष लीलाएँ[1]
नारदकृत स्तुति
हमे मायुर्यप्रकरण को एक साथ अलग लिखने का निश्चय कर लिया था, इसी कारण पिछले अध्याय में कहीं-कहीं पर श्रीमद्भागवत के क्रम का अनुसरण नहीं हो सका। अब फिर श्रीमद्भागवत के क्रम के अनुसार श्रीकृष्ण चरित्र का चित्रण करते हैं। व्रज में गोप-गोपियों का यह नित्य-नियम था कि भगवान् का किसी-न-किसी प्रकार दर्शन किया जाय। इस समय गोकुल में उत्सवों की बड़ी धूम थी, इसे अरिष्टासुर दैत्य न सह सका। वह बृहत्काय बैल के स्वरूपवाला दैत्य पृथ्वी को कँपाता हुआ गोकुल में आ पहुँचा। उसे देखकर गोपियाँ और गोप डर गये। भगवान् ने उसके सीगों को पकड़कर घुमाया और भूमि में पटककर पैरों से कुचलकर उसका अंत कर दिया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अर्थ इसी प्रकरण के श्लोक 11 और 12 की टीका में देखिये।
- ↑ अर्थ इसी प्रकरण के श्लोक 11 और 12 की टीका में देखिये।
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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