विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
तृतीय प्रकरण
रास का आह्वान्
नागपत्नियों द्वारा की हुई स्तुति
उपर्युक्त विवेचन से प्रतीत होगा कि यह रासलीला श्रीमद्भागवत में एक अति उत्कृष्ट स्थल है। जिन महानुभावों ने ‘माधुर्य का[4]प्रादुर्भाव’ तथा ‘चीरहरणलीला’ के प्रकरणों का तात्पर्य समझ लिया उनको इस लीला का रहस्य समझने में सरलता होगी। कुछ महानुभावों का यह मत है कि यह रासलीला इस लोक की नहीं है।[5] इसका समर्थन उस लीला से किया जाता है कि जब भगवान् ने नन्द जी को वरुण लोक से छुड़ाया था जहाँ उनको वरुण के अनुचर इस कारण पकड़ ले गये थे कि उन्होंने यमुना में राक्षसी वेला में (रात्रि में) स्नान किया था। नन्द जी ने लौटकर गोपों से वरुणलोक के ऐश्वर्य का वर्णन किया था। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भा. 10।29।42।
- ↑ भा. 10।30।2।
- ↑ भा. 10।33।26।
- ↑ ये महत्त्व के शब्द हैं, इनका अर्थ पण्डितवर श्रीधनपति सूरि ने गूढार्थदीपिका में इस प्रकार किया है- ‘चरमधातुर्न स्खलितो यस्येति कामविजयोक्तिः।’
- ↑ कल्याण मासिक पत्रिका का श्रीकृष्णांक।
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