विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीरास के हेतु, स्वरूप और कालगोपियों को तो- ‘ददौ ताम्बूलचर्वितम्’- ‘गण्ड गण्डे संदधत्यादात ताम्बूलचर्वितम्’- ताम्बूलचर्वितका स्वाद है। वहाँ नेत्र का रस है- कृष्ण देख रहे हैं, देखे जा रहे हैं। स्पर्श का रस हैं। नाचते हैं न ‘बाहुंप्रियांस उपधाय’ प्यारी जी के कन्धे पर हाथ रखकर चलते हैं- योगेश्वरेण कृष्णेन तासां मध्ये द्वयोद्वयो: । वहाँ वीणा-मृदंग बज रहे हैं। वहाँ बाँसुरी बज रही है। वहाँ संगीत हो रहा है। वह शब्दरस, स्पर्श-रस, रूप-रस, स्वाद-रस और गन्ध, घ्राणरस,- ‘रसानां समूहः’- यह रस का समूह हो गया। ‘सर्वरसः सर्वगन्धः सर्वकामः’ जो चाहो सो लो। अपना सर्वस्व लुटाने के लिए भगवान ने अपनी सत्ता को विकीर्ण कर दिया, अपने ज्ञान को विकीर्ण कर दिया, अपने आनन्द को बिखेर दिया। रासलीला में आनन्द के धूलिकण उड़ते हैं। आनन्द की बहार, फुहारें उड़ती हैं। आनन्द की चाँदनी छिटकती हैं, आनन्द की हवा बहती है, आनन्द की आवाज गूँजती है। वहाँ आनन्द ही आनन्द, आनन्द ही आनन्द। वहाँ आनन्द की लीला है- माने वहाँ आनन्द देने वाला भी आनन्द, आनन्द लेने वाला भी आनन्द, वहाँ क्रिया भी आनन्द और भोग भी आनन्द, इसको बोलते हैं रास- ‘रसानां समूहो रासः’। बात यह है कि वेदान्तियों का ब्रह्म अकेला है और यहाँ भक्तों का जो रस है वह अनेक होकर विलास कर रहा है। वेदान्तियों का रस एक होकर शान्त हो रहा है, एक होकर के समाधिस्थ हो रहा है। इसी का नाम रासलीला है। रास में जो नृत्य होता है उस नृत्य का नाम नाट्यशास्त्र के अनुसार है- हल्लीषक। सैकड़ों प्रकार के नृत्य होते हैं, जैसे केवल अंगूठे के बल पर नृत्य, नूपूर की विशेषता से नृत्य- नूपूर बजते हैं न पाँव में तो नुपूर बजे एक घुँघरू बजे कि दो घुँघरू बजें कि तीन घुँघरू बजें, यह बजाने में नृत्य की विशेषता होती है। यह नहीं कि जैसे पशु उछलता है। हमने कभी–कभी देखा है- लोग नाचना माने क्या समझते हैं, हमको मालूम नहीं पर कोई राग नहीं, कोई स्वर नहीं, नाचने के नाम पर दोनों हाथ उठाकर सिर्फ उछलते हैं जैसे एक दूसरे को हाथ पकड़कर कुश्ती लड़ रहे हों। वह रास नहीं है, वह डांस है। यह देखो- संस्कृत में रास-लास-डास, ये तीनों संस्कृत के शब्द हैं- ‘रलयोरभेदः, डलयोरभेदः’। ऋ और लृ में सावर्ण्य है और लृ और ‘ड’ में सावर्ण्य है। ‘रलयोरभेदः डलयोरभेदः’- तो रास है वही लास है वही डास है। ‘लास’ संस्कृत शब्द है। लास माने नृत्य। अंग्रेजी में तो जो लास है वह बनियों के काम का है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
प्रवचन संख्या | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज