विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीप्रवचन 27गोपियों की न लौट पा सकने की बेबसी और मर जाने के परिणाम का उद्घाटन
ये जो गोपियों के वचन हैं श्रीकृष्ण के प्रति, ये बोले गये हैं सीधे-साधे? परंतु गोपियों के भेद के समान ही- जैसे हजारों प्रकार की गोपियाँ हैं, और हजारों गोपियों के मन में हजारों भाव हैं, वैसे ही उनके एक-एक वचन में हजार-हजार भाव भी है। गोपी कहती हैं- देवो यथाऽऽदिपुरुषो भजते मुमुक्षून् सन्त्यज्य सर्विविषयांस्तव पादमूलम् । वेद में यह बात कही गयी है, कि जिनका परमप्रेमास्पद परमेश्वर है, जैसे वे अर्थ, धर्म, काम, सबकी इच्छा छोड़ करके परमेश्वर से प्रेम करते हैं और परमेश्वर उनका परित्याग नहीं करते वैसे हम भी सर्व विषयों का त्याग करके तुम्हारी शरण में आयी हैं। इसलिए तुम्हारे द्वारा हमारा त्याग उचित नहीं है। क्या रखा है विषयों में? ये तो आज हैं कल चले जायेंगे। ये संसार के भोग चार दिन ज्यादा रहें, चार दिन कम रहें, छोड़कर ये जायेंगे जरूर। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीमद्भावगत 10.29, 34, 35
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