विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीश्रीकृष्ण के प्रति गोपियों का अभिसारतीव्रसंवेगानां आसन्नः- जिसके जीवन में तीव्र संवेग होता है उसको परमात्मा की प्राप्ति होती है। लेकिन इस तीव्र संवेग में यह देखना का नहीं है कि क्या छूट गया क्या रह गया। गोपियाँ तीव्र संवेग से कृष्ण की ओर चलीं। गोपी ने यह नहीं सोचा कि कहीं साँप न काट ले। कैसे निकलेंगे रात में भाई। कहीं चोर न मिल जाय, कहीं भूत न पकड़ ले, कहीं बिच्छू न डँस ले, कहीं काँटा न गड़ जाय- ये सब याद नहीं आया गोपी को क्योंकि उसकी नजर लक्ष्य पर है। आपने लैला मजनू की कहानी सुनी होगी। बाजार में यह घोषणा कर दी गयी कि मजनू जहाँ हो और खाने-पीने की चीज माँगे तो मुफ्त में दे दी जाय। गाँव में हजारों मजनू पैदा हो गये, हर दुकान पर से बिल आवे कि उन्होंने इतना लिया, इतना लिया। एक मजनू कितना खाय। बोले- असली मजनू की परीक्षा होगी। मचान पर लैला को बैठा दिया गया और चारों तरफ आग लगा दी गयी। अब घोषणा की गयी कि लैला मजनू से मिलना चाहती है। सब मजनू आग देखकर भाग गये और जो असली मजनू था उसको लैला ही दिखती थी, आग नहीं दिखती थी। गोपी जब घर से निकली तो उसको बिच्छू-साँप नहीं दिखता था, उसको माँ-बाप नहीं दिखते थे, भाई-बन्धु, सास-ससु नहीं दिखते थे, उसको दिखते थे बाँसुरी बजाते हुए कृष्ण।स यत्र कान्तो जवलोलकुण्डलाः । इतनी वेग से गोपी जा रही थी कि कुण्डल, कंकण-किंकणी, करधनी सब बजने लग लग गयी। कहाँ चली? यत्र स कान्तः- जहाँ वह कान्त था, जहाँ वह प्यारा था। हमको प्यारे के पास पहुँचने से मतलब है, रास्ते के विघ्न-बाधा से क्या मतलब है। प्रेमी के लिए शरीर की क्या कीमत है? सब की सब चल पड़ीं। आजग्मुरन्योन्यमलक्षितोद्यमाः – कई लोग कहते हैं कि ‘आजग्मुः’ का अर्थ है कि शुकदेव जी महाराज उसी कदम्ब पर बैठे हुए थे, जिसके नीचे श्रीकृष्ण वंशी बजाते थे। इसलिए उन्होंने साक्षी दी कि गोपियाँ आयीं। किसी ने कहा कि ‘आजग्मुः’ का अर्थ है सबको छोड़कर आयीं। आ समन्तात् माने सर्वपरित्याग करके आयीं, अभिसार किया। कहाँ आयीं? चिरकाल से जिनको चाहती थीं उस कान्त के पास। कस्य सुखस्य अंतःनिष्ठा- जो सुख की अन्तिम निष्ठा है वहाँ आयीं और एक दूसरे से छिपकर के आयीं, श्रीकृष्ण के आकर्षण से विचार चला गया और चली आयीं-आजग्मुरन्योन्यमलक्षितोद्यमाः स यत्र कान्तो जवलोलकुण्डलाः । क्या-क्या छोड़कर गयीं, उसका वर्णन आगे देखें। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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