ऐसे यज्ञों का वर्णन और कहाँ हुआ है?
इस प्रकार के और भी कई तरह के यज्ञों का वर्णन वेदों में विस्तार से हुआ है। उन सब यज्ञों को तू कर्मजन्य (कर्मों से होने वाले) जान। इस प्रकार जानकर यज्ञ करने से तू कर्मबन्धन से मुक्त हो जायगा।।32।।
सब यज्ञों में श्रेष्ठ यज्ञ कौन-सा है भगवन्?
हे परंतप! उन सब कर्मजन्य यज्ञों से ‘ज्ञानयज्ञ’ श्रेष्ठ है, क्योंकि ज्ञानयज्ञ में सम्पूर्ण कर्म और पदार्थ समाप्त हो जाते हैं।।33।।
वह ज्ञान कैसे प्राप्त करें?
उस ज्ञान की प्राप्ति के लिये तू ज्ञानी तत्त्वदर्शी महापुरुषों के पास जा, उनके चरणों में दण्डवत्-प्रणाम कर, उनकी सेवा कर और उनसे आदरपूर्वक तत्त्व की जिज्ञासा के विषय में प्रश्न कर, तब वे ज्ञानी महापुरुष तुझे ज्ञान का उपदेश देंगे।।34।।
उनके दिये हुए ज्ञान से क्या होगा?
हे अर्जुन! उस ज्ञान के प्राप्त होने पर तुझे फिर कभी मोह नहीं होगा तथा उस ज्ञान से तू सम्पूर्ण प्राणियों को पहले अपने में और फिर मेरे में देखेगा अर्थात् सब जगह एक परमात्मतत्त्व का ही अनुभव करेगा।।35।।
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