गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 7

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

पहला अध्याय

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अगर कुल का नाश हो भी जाय तो क्या होगा?
कुल का नाश होने पर सदा से चले आये कुलधर्म (कुल-परम्परा) नष्ट हो जाते हैं।

कुलधर्म के नष्ट होने पर क्या होता है?
कुलधर्म के नष्ट होने पर सम्पूर्ण कुल में अधर्म फैल जाता है।।40।।

अधर्म के फैल जाने से क्या होता है?
अधर्म के फैल जाने से कुल स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं।

स्त्रियों के दूषित होने से क्या होता है?
स्त्रियों के दूषित होने से वर्णसंकर पैदा होता है।।41।।

वर्णसंकर पैदा होने से क्या होता है?
वह वर्णसंकर कुलघातियों ( कुल का नाश करनेवालों-) को और सम्पूर्ण कुल को नरकों में लो जानेवाला होता है तथा पिण्ड और पानी (श्राद्ध-तर्पण) न मिलने से उनके पितर भी अपने स्थान से गिर जाते हैं। इन वर्णसंकर पैदा करने वाले दोषों से कुलघातियों के सदा से चलते आये कुलधर्म और जातिधर्म-दोनों नष्ट हो जाते हैं।।42-43।।

जिनके कुलधर्म नष्ट हो जाते हैं, उन मनुष्यों का क्या होता है?
हे जनार्दन! उन मनुष्यों को बहुत समय तक नरकों में निवास करना पड़ता है, ऐसा हम सुनते आये हैं।।44।।

युद्ध के ऐसे परिणाम को जब तुम पहले से ही जानते हो तो फिर तुम युद्ध के लिये तैयार ही क्यों हुए?
यही तो बड़े आश्चर्य और खेद की बात है कि हमलोग बड़ा भारी पाप करने का निश्चय कर बैठे हैं, जो कि राज्य और सुख के लोभ से अपने कुटुम्बियों को मारने के लिये तैयार हो गये हैं।।45।।

अब तुम क्या करना चाहते हो?
मैं अस्त्र-शस्त्र छोड़कर युद्ध से हट जाऊँगा। अगर मेरे द्वारा ऐसा करने पर भी हाथों में शस्त्र लिये हुए दुर्योधन आदि मुझे मार दें तो वह मारना भी मेरे लिये बड़ा हितकारक होगा।।46।।

ऐसा कहने के बाद अर्जुन ने क्या किया संजय?
संजय बोले- ऐसा कहकर शोक से व्याकुल मनवाले अर्जुन ने बाणसहित धनुष का त्याग कर दिया और रथ के मध्यभाग में बैठ गये।।47।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
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अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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