गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 60

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

छठा अध्याय

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आपने तत्त्वज्ञ योगियों के कुल में जन्म लेने वाले की बात तो बता दी, अब ये बताइये कि शुद्ध श्रीमानों के घर में जन्म लेने वाले का क्या होता है?
वह योगभ्रष्ट भोगों के परवश होते हुए भी पूर्वजन्म में किये हुए अभ्यास (साधन) के कारण परमात्मा की तरफ खिंच जाता है।

पूर्वाभ्यास में ऐसी कौन-सी शक्ति है, जिससे वह साधन में जबर्दस्ती खिंच जाता है भगवन्?
भैया! जब योग का जिज्ञासु भी वेदों में कहे हुए सकाम कर्मों का अतिक्रमण कर जाता है, फिर जो योगभ्रष्ट है, योग में लगा हुआ है, उसका तो कहना ही क्या है!।।44।।

परमात्मा की तरफ खिंच जानेपर क्या होता है?
वह बड़ी तेजी से साधन में लग जाता है और सम्पूर्ण पापों से रहित होकर वह अनेक जन्मों से सिद्ध हुआ (साधक) परमगति परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।।45।।

जो योगी परमगति को प्राप्त हो जाता है, उसकी क्या महिमा है?
वह योगी सकामभाव वाले तपस्वियों, ज्ञानियों और कर्मियों से भी श्रेष्ठ है- ऐसा मेरा मत है। इसलिये हे अर्जुन! तू भी योगी हो जा।।46।।

योगियों में भी श्रेष्ठ कौन है?
जो मेरे में तल्लीन हुए अन्तःकरण से श्रद्धा-प्रेमपूर्वक मेरा भजन करता है, वह मेरा भक्त सम्पूर्ण योगियों में श्रेष्ठ है।।47।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
अध्याय 2 26
अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
अध्याय 5 50
अध्याय 6 60
अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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