गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 121

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

सोलहवाँ अध्याय

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उस अत्यन्त गोपनीय बात का अधिकारी कौन होता है भगवन्?
दैवी सम्पत्ति वाला होता है[1]

दैवी सम्पत्ति वाले मनुष्य के क्या लक्षण होते हैं?
भगवान् बोले- वे इस प्रकार हैं-

1. मेरे ही दृढ़ भरोसे अभय रहना।

2. अन्तःकरण में मेरे को प्राप्त करने का एक दृढ़ निश्चय होना।

3. मेरे को तत्त्व से जानने के लिये हरेक परिस्थिति में सम रहना।

4. सात्त्विक दान देना।

5. इन्द्रियों को वश में करना।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
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अध्याय 17 135
अध्याय 18 153
  1. ‘देव’ नाम परमात्मा का है। उस परमात्मा की जो सम्पत्ति है, गुण हैं, वे ‘दैवी सम्पत्ति’ कहलाते हैं अर्थात् जो साधन परमात्मा की प्राप्ति में हेतु (निमित्त) बनते है।, वे दैवी सम्पत्ति कहलाते हैं।।

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