गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 134

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

सत्रहवाँ अध्याय

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भगवन्! अब यह बताइये कि दान तीन प्रकार का कैसे होता है?
दान देना कर्तव्य है- इस भाव से जो दान प्रत्युपकार की भावना से रहित होकर देश, काल और सुपात्र के प्राप्त होने पर दिया जाता है, वह दान सात्त्विक होता है।।20।।

राजस दान क्या होता है?
जो दान प्रत्युपकार पाने के लिये अथवा फल की इच्छा रखकर ‘देना पड़ रहा है’- ऐसे दुःखपूर्वक दिया जाता है, वह दान राजस होता है।।21।।

तामस दान क्या होता है?
जो दान बिना सत्कार के तथा अवज्ञापूर्वक अयोग्य देश और काल में कुपात्र को दिया जाता है, वह दान तामस होता है।।22।।

श्रद्धालु मनुष्य शास्त्रविहित यज्ञ, तप और दान की क्रियाओं को कैसे आरम्भ करे महाराज?
ऊँ तत् और सत्-इन तीनों नामों से जिस परमात्मा का निर्देष किया गया है, उसी परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों, ब्राह्मणों और यज्ञों की रचना की है। अतः परमात्मा का नाम लेकर ही यज्ञादि क्रियाओं को आरम्भ करना चाहिये।।23।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
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