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− | हाँ, पहले जो मुमुक्षु हैं, उन्होंने भी इस प्रकार (कर्मों के तत्त्वो को) जानकर धर्म किये हैं। इसलिये तू भी पूर्वजों के द्वारा सदा से किये जाने वाले कर्मो को | + | हाँ, पहले जो मुमुक्षु हैं, उन्होंने भी इस प्रकार (कर्मों के तत्त्वो को) जानकर धर्म किये हैं। इसलिये तू भी पूर्वजों के द्वारा सदा से किये जाने वाले कर्मो को उन्हीं की तरह कर॥15॥ |
'''जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है?'''<br /> | '''जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है?'''<br /> |
01:03, 28 अप्रॅल 2018 के समय का अवतरण
गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
चौथा अध्याय
इस प्रकार किसी ने कर्म किये भी हैं क्या? जिस कर्म को मुमुक्षुओं ने किया है और जिस कर्म को करने के लिये आप आज्ञा दे रहे हैं, वह कर्म क्या है? कर्म और अकर्म के तत्त्व को जानना क्या है? वह बुद्धिमानी क्या है? |