श्रीमद्भगवद्गीता -रामानुजाचार्य पृ. 138

Prev.png

श्रीमद्भगवद्गीता -रामानुजाचार्य
पाँचवाँ अध्याय

तत् च कथम्? ब्रह्मविद् ब्रह्मणि स्थितः; उपदेशेन ब्रह्मवित् सन् तस्मिन् ब्रह्मणि अभ्यासयुक्तः।

ऐसा किस प्रकार बनें? ब्रह्मवेत्ता और ब्रह्म में स्थित होकर-उपदेश के द्वारा ब्रह्म को जानकर और उस ब्रह्म में अभ्यास करने वाला होकर (वैसा बने)।

एतद् उक्तं भवति- तत्त्वविदाम् उपदेशेन आत्मयाथात्म्यविद् भूत्वा तत्र एव यतमानो देहाभिमानं परित्यज्य स्थिररूपात्मावलोकन प्रियानुभवे व्यवस्थितः अस्थिरे प्राकृत प्रियाप्रिये प्राप्त हर्षोद्वेगौ न कुर्याद् इति।। 20।।

कहने का तात्पर्य यह है कि तत्त्ववेत्ता पुरुषों को जानने वाला होकर उसी के लिये प्रयत्न करता हुआ देहाभिमान का परित्याग करके स्थिर-स्वरूप आत्मा के साक्षात्कार रूप प्रिय अनुभव में भलीभाँति स्थित रहे, और प्रकृतिजनित क्षणभंगुर प्रिय तथा अप्रिय को पाकर हर्ष और उद्वेग न करे ।। 20।।

बाह्रास्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम्।
स ब्रह्मायोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्नुते ॥21॥

बाह्य विषयों में आसक्तिरहित मन वाला पुरुष जब आत्मा में ही सुख प्राप्त करता है तब वह ब्रह्मयोगयुक्त मनवाला होकर अक्षय (ब्रह्मानुभरूप) सुख को भोगता है।।21।।

एवम् उक्तेन प्रकारेण बाह्यस्पर्शेषु आत्मव्यतिरिक्तविषयानुभवेषु असक्तमनाः अन्तरात्मनि एव यः सुखं विन्दति लभते स प्रकृत्यभ्यासं विहाय ब्रह्मयोगयुक्तात्मा ब्रह्माभ्यास युक्तमना ब्रह्मानुभवरूपम् अक्षयं सुखं प्राप्नोति।।21।।

ऐसे उपर्युक्त प्रकार से जिसका मन बाह्य स्पर्शों में- आत्मा से अतिरिक्त अन्य विषयों के अनुभवों में आसक्त नहीं है, जो अन्तरात्मा में ही सुख प्राप्त करता है, वह ब्रह्मयोगयुक्तात्मा- ब्रह्माभ्यास में लगे हुए मनवाला पुरुष प्रकृति विषयक अभ्यास को छोड़कर ब्रह्म-अनुभवरूप अक्षय सुख को प्राप्त होता है।।21।।

प्राकृतस्य भोगस्य सुत्यजताम् आह-

प्रकृति जनित भोग का त्याग करना सुगम है, यह बतलाते हैं-

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

श्रीमद्भगवद्गीता -रामानुजाचार्य
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 1
अध्याय 2 17
अध्याय 3 68
अध्याय 4 101
अध्याय 5 127
अध्याय 6 143
अध्याय 7 170
अध्याय 8 189
अध्याय 9 208
अध्याय 10 234
अध्याय 11 259
अध्याय 12 286
अध्याय 13 299
अध्याय 14 348
अध्याय 15 374
अध्याय 16 396
अध्याय 17 421
अध्याय 18 448

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः