भागवत धर्म सार -विनोबा पृ. 22

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प्रस्तावना

8. गुरुबोध (2) प्राणि-गुरु

5. ग्राम्य-गीतं न शृणुयाद् यतिर् वनचरः क्वचित्।
शिक्षेत हरिणाद् बद्धान्मृगयोर् गीत-मोहितात्॥
अर्थः
वनवासी यति कभी भी ग्राम्य-गीत (विषय-संबंधी गीत) न सुने। वह व्याध के गीत से मोहित हो जाल में फँसे हिरन से यह शिक्षा ग्रहण करे।
 
6. जिह्वयाऽति-प्रमाथिन्या जनो रस-विमोहितः।
मृत्युमृच्छत्यसद्-बुद्धिर् मीनस्तु बडिशैर् यथा॥
अर्थः
बंसी में लगे मांस के लोभ से उसमें फँसकर जैसे मछली अपने प्राण गँवा बैठती है, वैसे ही अनियंत्रित जीभ के कारण रस-लोलुप हो मूर्ख मानव भी मृत्यु को प्राप्त करता है।
 
7. स्तोकं स्तोकं ग्रसेद् ग्रासं देहो वर्तेत यावता।
गृहान् अहिंसन् आतिष्ठेद् वृत्तिं माधुकरीं मुनिः।।
अर्थः
यति को चाहिए कि भ्रमर की वृत्ति का अनुसरण कर किसी भी गृहस्थ को कष्ट न देते हुए अपने शरीर-धारण मात्र के लिए आवश्यक थोड़े-थोड़े अन्न की भिक्षा माँग उदर-निर्वाह करे।
 
8. अणुभ्यश्च महद्भ्यश्च शास्त्रेभ्यः कुशलो नरः।
सर्वतः सारमादद्यात् पुष्पेभ्य इव षट्-पदः॥
अर्थः
जिस तरह भ्रमर फूलों से केवल मधु ही ग्रहण करता है, उसी तरह चतुर मनुष्य भी छोटे-बड़े शास्त्रों से, सब जगह के सार ग्रहण करे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भागवत धर्म सार
क्रमांक प्रकरण पृष्ठ संख्या
1. ईश्वर-प्रार्थना 3
2. भागवत-धर्म 6
3. भक्त-लक्षण 9
4. माया-तरण 12
5. ब्रह्म-स्वरूप 15
6. आत्मोद्धार 16
7. गुरुबोध (1) सृष्टि-गुरु 18
8. गुरुबोध (2) प्राणि-गुरु 21
9. गुरुबोध (3) मानव-गुरु 24
10. आत्म-विद्या 26
11. बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु-साधक 29
12. वृक्षच्छेद 34
13. हंस-गीत 36
14. भक्ति-पावनत्व 39
15. सिद्धि-विभूति-निराकांक्षा 42
16. गुण-विकास 43
17. वर्णाश्रम-सार 46
18. विशेष सूचनाएँ 48
19. ज्ञान-वैराग्य-भक्ति 49
20. योग-त्रयी 52
21. वेद-तात्पर्य 56
22. संसार प्रवाह 57
23. भिक्षु गीत 58
24. पारतंत्र्य-मीमांसा 60
25. सत्व-संशुद्धि 61
26. सत्संगति 63
27. पूजा 64
28. ब्रह्म-स्थिति 66
29. भक्ति सारामृत 69
30. मुक्त विहार 71
31. कृष्ण-चरित्र-स्मरण 72
भागवत धर्म मीमांसा
1. भागवत धर्म 74
2. भक्त-लक्षण 81
3. माया-संतरण 89
4. बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु साधक 99
5. वर्णाश्रण-सार 112
6. ज्ञान-वैराग्य-भक्ति 115
7. वेद-तात्पर्य 125
8. संसार-प्रवाह 134
9. पारतन्त्र्य-मीमांसा 138
10. पूजा 140
11. ब्रह्म-स्थिति 145
12. आत्म-विद्या 154
13. अंतिम पृष्ठ 155

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