भागवत धर्म सार -विनोबा पृ. 16

Prev.png

6. आत्मोद्धार

1. प्रायेण मनुजा लोके लोकतत्त्व-विचक्षणाः।
समुद्धरन्ति ह्यात्मानं आत्मनैवाशुभाशयात्॥
 
अर्थः
विश्वतत्त्व का परीक्षण करने में कुशल लोग साधारणतः स्वयं के यत्न से ही (अमंगल विषयों की) मलिन वासनाओं से अपना उद्धार कर लेते हैं।
 
2. आत्मनो गुरुरात्मैव पुरुषस्य विशेषतः।
यत् प्रत्यक्षानुमानाभ्यां श्रेयोऽसौ अनुविन्दते॥
अर्थः
विशेष बात यह है कि मनुष्य का गुरु उसकी आत्मा ही है, क्योंकि प्रत्यक्ष और अनुमान दोनों प्रमाणों से वह अपना कल्याण कर लेता है।
 
3. पर-स्वभाव-कर्माणि न प्रशंसेन्न गर्हयेत्।
विश्वं ऐकात्मकं पश्यन् प्रकृत्या पुरुषेण च॥
अर्थः
क्या प्रकृति की दृष्टि से और क्या आत्मा की दृष्टि से विश्व एकात्मक है- यह जानकर मानव का कर्तव्य है कि वह दूसरे के स्वभाव या कर्म की स्तुति या निंदा न करे।
 
4. पर-स्वभाव-कर्माणि यः प्रशंसति निंदति।
स आशु भ्रश्यते स्वार्थात् असत्यभिनिवेशतः॥
अर्थः
जो पुरुष दूसरों के स्वभाव या कर्म को प्रशंसा या निंदा करता है, वह मिथ्या वस्तु के अभिमान के कारण अपने वास्तविक स्वार्थ (यानि आत्मार्थ) से शीघ्र ही भ्रष्ट हो जाता है।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भागवत धर्म सार
क्रमांक प्रकरण पृष्ठ संख्या
1. ईश्वर-प्रार्थना 3
2. भागवत-धर्म 6
3. भक्त-लक्षण 9
4. माया-तरण 12
5. ब्रह्म-स्वरूप 15
6. आत्मोद्धार 16
7. गुरुबोध (1) सृष्टि-गुरु 18
8. गुरुबोध (2) प्राणि-गुरु 21
9. गुरुबोध (3) मानव-गुरु 24
10. आत्म-विद्या 26
11. बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु-साधक 29
12. वृक्षच्छेद 34
13. हंस-गीत 36
14. भक्ति-पावनत्व 39
15. सिद्धि-विभूति-निराकांक्षा 42
16. गुण-विकास 43
17. वर्णाश्रम-सार 46
18. विशेष सूचनाएँ 48
19. ज्ञान-वैराग्य-भक्ति 49
20. योग-त्रयी 52
21. वेद-तात्पर्य 56
22. संसार प्रवाह 57
23. भिक्षु गीत 58
24. पारतंत्र्य-मीमांसा 60
25. सत्व-संशुद्धि 61
26. सत्संगति 63
27. पूजा 64
28. ब्रह्म-स्थिति 66
29. भक्ति सारामृत 69
30. मुक्त विहार 71
31. कृष्ण-चरित्र-स्मरण 72
भागवत धर्म मीमांसा
1. भागवत धर्म 74
2. भक्त-लक्षण 81
3. माया-संतरण 89
4. बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु साधक 99
5. वर्णाश्रण-सार 112
6. ज्ञान-वैराग्य-भक्ति 115
7. वेद-तात्पर्य 125
8. संसार-प्रवाह 134
9. पारतन्त्र्य-मीमांसा 138
10. पूजा 140
11. ब्रह्म-स्थिति 145
12. आत्म-विद्या 154
13. अंतिम पृष्ठ 155

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः