भागवत धर्म मीमांसा12. कृष्ण-चरित्र-स्मरण निगमकृदुपजह्रे भृंगवद् वेदसारम् – भगवान कृष्ण ने वेद का निर्माण किया, इसलिए वे हुए निगमकृत्। वेद का निर्माण करने वाले उन भगवान कृष्ण ने उद्धव के लिए ‘वेदसार’, उपजह्रे – ग्रहण किया यानि निकाला, किसकी तरह? तो भृंगवद् – जैसे भृंग यानि भँवरा फूलों में से सार ले लेता है, वैस ही वेद को पैदा करने वाले कृष्ण ने वेद का सार – वेदसारम् – निकाला। किसलिए निकाला? भवभयम् अपहन्तुम् – भव भय दूर करने के लिए। वह वेदसार कैसा है? ज्ञान-विज्ञान-सारम् – ज्ञान-विज्ञान का सार ही है। अमृतम् उदधितश्र्व अपाययद् भृत्यवर्गान् – (जिन्होंने मानो वेद -) समुद्र से यह अमृत निकालकर अपने भृत्यों, सेवकों को पिलाया, पुरुषम् ऋषभम् आद्यं कृष्णसंज्ञं नतोऽस्मि – उन आद्य महापुरुष जिनकी भगवान ‘कृष्ण’ संज्ञा है, हम प्रणाम करते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवत-11.29.49
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