कर कानन कुंडल मोरपखा -रसखान कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि छाजती है रसखानी लखै तन पीतपटा सत दामिनी कि दुति लाजती है वह बाँसुरी की धुनी कानि परे कुलकानी हियो तजि भाजती है संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंरसखान रसखान • व्यक्तित्व और कृतित्व • कविताएँ • साहित्यिक विशेषताएँ • भाव-पक्ष • कला-पक्ष • प्रकृति वर्णन • रस संयोजन • भाषा • भक्ति-भावना • दर्शन • श्रृंगार रस • शांतरस • भक्तिरस • वात्सल्य रस • रसखान के मुक्तक • छंद योजना • अलंकार योजना • अभिधा शक्ति • लक्षणा शक्ति • रूढ़ि लक्षणा • प्रयोजनवती लक्षणा • उपादान लक्षणा • प्रेम वाटिका • लक्षण लक्षणा • जहदजहल्लक्षणा • व्यंजना शक्ति • धारावाहिकता • नादात्मकता रसखान की रचनाएँ प्रेमवाटिका सुजान-रसखान भक्ति-भावना • कृष्ण का आलौकित्व • अनन्य भाव • मिलन • बाल-लीला • रूप-माधुरी • प्रेम लीला • बंक बिलोचन • मुस्कान माधुरी • कृष्ण सौंदर्य • रूप प्रभाव • कुंज लीला • नटखट कृष्ण • मुरली प्रभाव • कालिय दमन • चीर हरण • प्रेमासक्ति • प्रेम बंधन • नेत्रोपालंभ • प्रेम-वेदन • रास लीला • फाग-लीला • राधा का सौंदर्य • मानवती राधा • सखी शिक्षा • संयोग-वर्णन • वियोग-वर्णन • सपत्नी-भाव • कुबलियापीड़-वध • उद्धव-उपदेश • ब्रज-प्रेम • गंगा महिमा • शिव-महिमा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः