सुजान-रसखान पृ. 46

सुजान-रसखान

मुरली प्रभाव

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कवित्त

दूध दुह्यौ सीरो पर्यौ तातो न जमायौ कर्यौ,
जामन दयौ सो धर्यौ, धर्यौई खटाइगौ।
आन हाथ आन पाइ सबही के तब ही तें,
जब ही तें रसखानि ताननि सुनाइगौ।
ज्‍यौं ही नर त्‍यौंहों नारी तैसीयै तरुन बारी,
कहिये कहा री सब ब्रिज बिललाइगौ।
जानियै न माली यह छोहरा जसोमति को,
बाँसुरी बजाइ गौ कि विष बगराइगौ।।107।।

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