"रसखान की रचनाएँ" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 41 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 41 अ अधर लगाइ रस प्याइ बाँसुरी बजाई -रसखानआ आई सबै ब्रज गोपालजी ठिठकी -रसखान आगु गई हुति भोर ही हों रसखानि -रसखान आज भटू मुरली बट के तट -रसखान आयो हुतो नियरे रसखानि -रसखान आवत लाल गुलाल लिए मग -रसखान आवत है बन ते मनमोहन -रसखानइ इक और किरीट बसे दुसरी दिसि -रसखानए एक समै जमुना-जल में सब मज्जन हेत -रसखानक कंचन मंदिर ऊँचे बनाई के -रसखान कर कानन कुंडल मोरपखा -रसखान कानन दै अँगुरी रहि हौं -रसखान कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान कीगै कहा जुपै लोग चवाब सदा -रसखान ख खेलत फाग सुहाग भरी -रसखानग गाई दहाई न या पे कहूँ -रसखान गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान गोरी बाल थोरी वैस -रसखानज जा दिन तें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान जेहि बिनु जाने कछुहि नहिं -रसखानद दानी नए भए माँबन दान सुनै -रसखानध धूरि भरे अति सोहत स्याम जू -रसखानन नैन लख्यो जब कुंजन तैं -रसखान नो लख गाय सुनी हम नंद के -रसखानप प्रान वही जु रहैं रिझि वापर -रसखान प्रेम अगम अनुपम अमित -रसखानफ फागुन लाग्यौ सखि जब तें -रसखानब बेद की औषद खाइ कछु न करै -रसखान ब आगे. बैन वही उनकौ गुन गाइ -रसखान ब्रह्म मैं ढूँढयो पुराण गानन -रसखानम मानुस हौं तो वही -रसखान मोर के चंदन मोर बन्यौ -रसखान मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान मोरपखा सिर ऊपर राखि हौं -रसखान मोहन हो-हो, हो-हो होरी -रसखानय यह देखि धतूरे के पात चबात -रसखान या लकुटी अरु कामरिया पर -रसखानल लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि -रसखानस संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान सेस गनेस महेस दिनेस -रसखान सोहत है चँदवा सिर मोर को -रसखान