श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
श्रीराधा
जहाँ लगि दुति अरु कांति बखनी, कुँवरि अंग देखत सकुचानी। श्री राधा के अद्भुत रूप-वैभव को समझने में सब से बड़े सहायक श्याम सुन्दर हैं। ‘वे रस के सागर हैं और अपने प्रताप, रूप, गुण, वय और वल के लिये प्रसिद्ध हैं। किन्तु वे श्रीराधा के किंचित् भ्रम-विलास से नाद-मोहित मृग के समान विथकित हो जाते हैं।' (जय श्री) हित हरि वंश प्रताप, रूप, गुण, वय, बल श्याम उजागर। श्री सहचरि सुख कहते हैं ‘जो प्रजांगनायें में अपने रूप-प्रकाश से चन्द्र को पराजित करती हैं, वे नंदकुमार को देखकर चौंधिया जाती हैं। श्रीहरि श्याम तो तभी दीखते हैं जब वे कीर्ति-सुता[3] के निकट आते हैं।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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