श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
श्रीराधा
चक चौंधति लखि कुंवर कौं ससि जीतत जे वाम। इतना ही नहीं, ‘नंद किशोर ने सब ब्रज वासियों के हृदयों को अपने श्याम रंग से रंग दिया था। श्रीराधा ने अपने गौर वर्ण से उन सबको गौर बना दिया, यह देखकर नंद-नंदन का सारा रूप-गर्व गल गया। जिस प्रकार सोने की परख कसोटी पर कसे जाने पर होती है, उसी प्रकार रूप की परख रूपवान के हृदय में उसकी लकीर खिंच जाने पर होती है।' रचे करेजा साँबरे सब व्रज नंद किशोर। श्री राधा के गौर वर्ण का प्रभाव केवल ब्रजवासियों के हृदयों पर ही नहीं पड़ता, वे जिसे फुलवारी के पास एक क्षण के लिये खड़ी हो जाती हैं, वहाँ के पत्र और फूल पीत वर्ण के हो जाते हैं। नैकु होत ठाड़ी कुंवरि जिहिं फुलवारी माँहि। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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