हित हरिवंश गोस्वामी -ललिताचरण गोस्वामी पृ. 508

श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी

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साहित्य
संस्कृत-साहित्य

संप्रदाय के संस्कृत ग्रन्थों की खोज अभी तक बिलकुल अधूरी है। अतः संस्कृत-साहित्य का ऊपर दिया हुआ परिचय भी सर्वथा अपूर्ण है। यहाँ मुख्यतः उन्हीं ग्रन्थों का परिचय दिया गया है, जो वृन्दावन के संग्रहालयों में उपलब्ध हैं। संप्रदाय के व्रजभाषा साहित्य में जिस प्रकार भी हिताचार्य के जन्म की अनेक 'बधाइयां' मिलती हैं, उसी प्रकार संस्कृत में श्री हरिवंशाष्टक और भी हिताष्टक प्राप्त है। अष्टक कारों में श्री बनचन्द्र गोस्वामी, श्री प्रबोधानंद सरस्वती, श्री कृष्णाचन्द्र गोस्वामी, श्री लोकनाथ जी, श्री भागवतावतंस जी, श्री जयवल्लभ गोस्वामी, श्री मनोहरदास जी, श्री प्रेमदास जी, श्री गोपाल पंडित, श्री चतुरशिरोमणिलाल गोस्वामी, श्री शिवप्रसाद जी, श्री रंगीलाल गोस्वामी, श्री ललितवल्लभ गोस्वामी, श्री प्रियतमलाल गोस्वामी और श्री प्रियालाल गोस्वामी के नाम उल्लेखनीय है।

राधावल्लभीय संप्रदाय अपने संस्कृत साहित्य की ओर से, ज्ञात होता है, आरम्भ से ही उदासीन रहा है। परिणामतः अनेक संस्कृत ग्रन्थ या तो सर्वथा नष्ट हो गये हैं, या संप्रदाय के संग्रहालयों में अनुपलब्ध हो गये हैं। कुछ दिन पूर्व लेखक को विश्वस्त सूचना मिली थी कि बड़ौदा के पुस्तकालय में श्री बनचन्द्र गोस्वामी के किसी शिष्य द्वारा रचित 'वृषभानुजा' नामक संस्कृत नाटक संग्रहीत है, जो संभवतः बम्बई से प्रकाशित हुआ था किन्तु अब अनुपलब्ध है। लेखक ने महमदाबाद में श्री रणछोड़लाल गोस्वामी के संग्रहालय में श्री बनचन्द्र गोस्वामी के ही एक अन्य शिष्य परमानंददास जी कृत 'भक्ति दीप' की एक प्रति देखी थी जो बीच में कई जगह से खंडित है। इसके 96 पृष्ठों में से केवल 40 पृष्ठ प्राप्त हैं। इसमें प्रौढ़ संस्कृत गद्य में भक्ति का मौलिक विेवेचन किया गया है।

जिनकी कृपा-कटाक्ष सौं लह्यौ कछुक विश्राम।
जयश्री श्यामलाल युग चरण में मेरी कोटि प्रणाम।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
विषय पृष्ठ संख्या
चरित्र
श्री हरिवंश चरित्र के उपादान 10
सिद्धान्त
प्रमाण-ग्रन्थ 29
प्रमेय
प्रमेय 38
हित की रस-रूपता 50
द्विदल 58
विशुद्ध प्रेम का स्वरूप 69
प्रेम और रूप 78
हित वृन्‍दावन 82
हित-युगल 97
युगल-केलि (प्रेम-विहार) 100
श्‍याम-सुन्‍दर 13
श्रीराधा 125
राधा-चरण -प्राधान्‍य 135
सहचरी 140
श्री हित हरिवंश 153
उपासना-मार्ग
उपासना-मार्ग 162
परिचर्या 178
प्रकट-सेवा 181
भावना 186
नित्य-विहार 188
नाम 193
वाणी 199
साहित्य
सम्प्रदाय का साहित्य 207
श्रीहित हरिवंश काल 252
श्री धु्रवदास काल 308
श्री हित रूपलाल काल 369
अर्वाचीन काल 442
ब्रजभाषा-गद्य 456
संस्कृत साहित्य
संस्कृत साहित्य 468
अंतिम पृष्ठ 508

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