श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
युगल-केलि (प्रेम-विहार)
नवल नागरि, नवल नागर किशोर मिलि, इसीलिए, श्रीध्रुवदास ने कहा है ‘युगल की अद्भुत काम केलि राग-रंग से युक्त प्रेम-रस है और उस में क्षण-क्षण में आनंद-सिन्धु के तरंग उठते रहते हैं। राग-रंग जुत प्रेम-रस अद्भुत केलि-अनंग। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हि. च. 50
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